Complete Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi Lyrics – आज सोमवार का दिन है, भगवान शिव के सभी भक्तों के लिए बहुत खास है। क्योंकि सोमवार का दिन भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए अनुरागी होता है। सोमवार के दिन सभी भक्तों को भगवान शिवशंकर का महामृत्युंजय मंत्र अवश्य पढ़ना चाहिए। इस मंत्र को पढ़ने के बहुत सारे चमत्कारी फायदे हैं। भगवान भोलेनाथ का यह मंत्र आपको सभी कष्टों से मुक्त करेगा।
चलिए विस्तार से समझते हैं, (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi) इस मंत्र के बारे में इसे पढ़ने की विधि क्या हैं? और इसका अर्थ क्या हैं? और यह मंत्र आपको किस दिन पढ़ना चाहिए। और इस मंत्र के करने के क्या बेनिफिट्स हैं? और कितनी बार पढ़ना चाहिए, चलिए जानते हैं।
विषय-सूची
Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi Lyrics
आज का दिन सोमवार है और यह दिन सभी शिव भक्तों के लिए बहुत स्पेशल है। सोमवार का दिन भगवान शिवशंकर की आराधना के लिए समर्पित होता है। और ऐसे में भगवान शिव का सबसे पावरफुल महामृत्युंजय जाप सोमवार के दिन ही पढ़ा जाता है। इस मंत्र को पढ़ने के क्या फायदे हैं? (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi) इस मंत्र का अर्थ क्या है? और इस जाप को करने का सही तरीका क्या है।
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Meaning of Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi
स मंत्र का अर्थ है (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi Meaning), इस पूरे ब्रह्मांड पालन पोषण करने वाले, तीन नेत्र वाले भगवान शिव शंकर की पूजा करते हैं। इस पूरी दुनिया में सुरभि प्रसारित करने वाले भगवान भोलेनाथ हमें मृत्यु के अनुबंध से आजाद करें।
Maha Mrityunjaya Mantra Jaap Vidhi In Hindi PDF
महामृत्युंजय मंत्र का जाप 1 लाख 25 हजार बार करना चाहिए। और वही लघु मृत्युंजय मंत्र का अजाब 11 लाख बार करना चाहिए। वसंत का महीने में इस मंत्र का जाप करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
सावन माह के अलावा यदि आप किसी अन्य महीने में इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि इस मंत्र को सोमवार के दिन ही शुरू कराना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते समय आपको ध्यान रखना है कि आपके हाथों में रुद्राक्ष माला का प्रयोग करना बहुत ही कल्याणकारी है।
एक महत्वपूर्ण बिंदु पर आपका ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं कि इस मंत्र का जाप दोपहर के 12 बजे के बाद कभी न करें। इस मंत्र के जॉब के समापन के बाद अगर आप हवन कराना अति उत्तम माना जाता हैं।
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Benefits of Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi
महामृत्युंजय मंत्र का जाप असाधारण हालातों के लिए ही करते हैं। जैसे कि घर में झगड़ा, अकाल मृत्यु हो जाना, जमीन संबंधित विवाद, पैसों की हानि, और रोग संबंधित समस्या इत्यादि से निवारण के लिए ही किया जाता है। इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
मंत्र का जाप करते समय देने योग्य विशेष बातें- (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi)
- मंत्र का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए।
- शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- एक निश्चित संख्या में ही इस मंत्र का जाप करें।
- मंत्र का जाप करते समय आप एक चीज का ख्याल रखें कि, उच्चारण होठों से बाहर ना आए।
- जाप करते समय धूपबत्ती और दीए जलाएं यह बहुत जरूरी है।
- रुद्राक्ष की माला पर ही इस मंत्र का जाप करें।
- जाप तक जाप की संख्या पूरी नहीं हो जाती तब तक माला को गौमुखी में ही रखें।
- जाप के समापन के बाद माला को भगवान शिव के प्रतिमा के पास रखना अत्यावश्यक है।
- कुशा आसन में ही बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
- पूरब की ओर मुख करके ही जाप करें।
- सबसे अंतिम और महत्वपूर्ण बात मंत्र का जाप करते समय एकाग्रता का विशेष ध्यान दें ध्यान इधर उधर ना भटकाए।
- इसके अलावा कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में 108 बार रोजाना इस मंत्र का जाप करने का उल्लेख किया गया है।
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महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति किस प्रकार हुई। (Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi)
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, ऋषि मृकण्डु और उनकी धर्मपत्नी मरुद्मति ने अपने संतान की प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उनको दर्शन दिए। और उनको दो विकल्प दिए पहला- अल्पायु बुद्धिमान पुत्र दूसरा-दीर्घायु मंदबुद्धि पुत्र। इन दो विकल्पों में से ऋषि मृकण्डु ने अल्पायु बुद्धिमान पुत्र की अभिलाषा की। जिसके फलस्वरूप मार्कण्डेय नामक संतान की प्राप्ति हुई।
जब मार्कण्डेय की उम्र 16 साल की थी तब वह अपने जीवन का सत्य जानकर भगवान शिव की आराधना करने लगे। जब वह 16 साल के थे तो एक बार यमराज उनके प्राण हरने आए। और वह वहां से काफी चले गए लेकिन वहां पर भी यमराज ने उनका पीछा नहीं छोड़ा तो मार्कण्डेेय ने काशी से कुछ ही दूरी पर एक कैथी नामक गांव था। जहां पर एक शिव मंदिर था। और वे शिव मंदिर जाकर भगवान केे शिवलिंग से लिपट गए। और भगवान शिव को पुकारने लगी।
मार्कण्डेय की पुकार को सुनकर प्रभु भोलेनाथ वहां पर प्रकट हुए और भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से महामृत्युंजय जाप की उत्पत्ति की और मार्कण्डेय को अमरता का वरदान दिया जिसकी वजह से यमराज वहां से चले गए। इसलिए महामृत्युंजय मंत्र को कष्ट हरने वाला maha mrityunjaya mantra कहा जाता है।
Disclaimer
इस लेख में बताई गई सभी बातें, निहित सटीकता और विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। इस लेख (Miracles of Maha Mrityunjaya Mantra In Hindi) में बताई गई प्रत्येक बात ज्योतिषी/मान्यताओं धर्म ग्रंथों से इकट्ठा करके आप लोगों तक पहुंचाई गई हैं। इस लेख का मुख्य उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रदान करना है।इसलिए इस लेख को पढ़ने वाले सभी यूजर्स से मैं कहना चाहता हूं, इस लेख में बताई गई प्रत्येक बात जानकारी के तहत ही अनुसरण करें। इसके अंतर्गत इसके इस्तेमाल की जिम्मेदारी स्वयं यूजर्स की ही रहेगी। इससे हमारा कोई भी वास्ता नहीं है। |
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