NOTA Full Form in Hindi, NOTA vote meaning in election, NOTA क्या होता है, History of NOTA in Hindi, NOTA vote क्या होता है, NOTA rules, Vote for NOTA का क्या मतलब होता है हिंदी में. अगर आपभी इन्हीं सब सवालों का जबाब जानना चाहते हो तो इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें.
हमारा देश भारत एक लोकतान्त्रिक देश है यानी एक ऐसा देश जहाँ पर सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है. सरकार चुनने के लिए हमारे देश में वक्त-वक्त पर चुनाव होता है और चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है.
भारत में सबसे पहली बार चुनाव 25 अक्टूबर 1951 के बीच हुआ यानी करीब चार महीने चली उस चुनाव प्रक्रिया ने भारत को एक नए मुकाम पर लाकर खड़ा किया और खुद को विश्व के घोषित लोकतांत्रिक देशों की कतार में खड़ा कर दिया.
1951 से लेकर 1998 तक भारत में चुनाव के लिए सिर्फ Ballot Box का use होता था. 1998 के बाद धीरे-धीरे चुनावों में ballot box का use कम होता चला गया क्योंकि इसमें votesको count करने में बहुत ज्यादा time लगता था, ballot papers का खर्च भी बहुत आता था और फर्जी voting भी हो जाती थी.
इसलियें इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए भारत के चुनाव आयोग ने EVM को introduce किया जिससें चुनाव में भ्रष्टाचार, votes counting time, चुनाव expense बहुत कम हो गया लेकिन भारत की चुनाव प्रक्रिया में अभी भी एक कमी थी और वोथी NOTA की.
आइये जानते है की NOTA क्या है, NOTA full form क्या है, NOTA का इतिहास क्या है और भारतीय चुनाव में NOTA का इस्तेमाल क्या है?
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विषय-सूची
NOTA Full Form क्या है और NOTA का क्या मतलब होता है?
NOTA क्या है और वोटिंग में NOTA का क्या इस्तेमाल है ये आप NOTA full form क्या है ये पढ़कर ही जान जाओगे तो दोस्तों NOTA full form “None of the Above” होता है और NOTA full form का हिंदी मतलब “इनमें से कोई भी नहीं” होता है.
कुछ साल पहले अगर चुनाव में खड़े उम्मीदवारों में से कोईभी उम्मीदवार किसी मतदाता को काबिल नहीं लगता था, तो मतदाता अपना वोट देने नहीं जाया करते थे और ऐसे में वो अपने मतदान का इस्तेमाल करने से वंचित रह जाते थे.
इसलिए निर्वाचन आयोग ने ऐसी व्यवस्था की कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि यह दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है. यानी अब ईवीम मशीन में NOTA यानी None of the Above का बटन होता है.
अब हमारे देश के नागरिकों को मतदान करते समय ‘नोटा’ काविकल्प दिया जाने लगा है और इस विकल्प का इस्तेमाल वोटिंग के दौरान कई लोगों द्वारा किया भी जा रहा है.
NOTA बटन को दबा कर अपना मत किसी भी उम्मीदवार को नादेने का विकल्प चुन सकता है. वहीं वोटों की गिनती के समय उस मतदाता का डाला गया वोट नोटा में गिना जाता है.
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भारत में NOTA का इतिहास – NOTA History In Hindi
माना जाता है कि मतपत्र में ‘NOTA’ का पहली बार प्रयोग 1976 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में इस्ला विस्टा म्युनिसिपल एडवाइजरी काउंसिल के चुनाव में हुआ था. जिसके बाद अन्य देशों ने भी धीरे धीरे इस विकल्प को अपने देश के मतदातों को देना शुरू कर दिया था.
इस वक्त कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राजील, बांग्लादेश,फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन,चिली, फ्रांस, बेल्जियम और ग्रीस जैसे देशों में इसका प्रयोग किया जा रहा है. इसके अलावा बहुत से देश ऐसेभी हैं जहाँ पर NOTA का इस्तेमाल करके उसे बंद भी कर दिया गया है. आइये अब बातकरते है की भारत में नोटा का इस्तेमाल कब से शुरू हुआ.
साल 2009 में NOTA को वोटिंग के दौरान शामिल करने कोलेकर भारत के चुनाव आयोग ने एक अर्जी उच्चतम न्यायालय में दी थी और इस अर्जी में भारत के चुनाव आयोग ने नोटा बटन को ईवीएम मशीन में जोड़ने की बात कही थी.
हालांकि उस वक्त की केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग का इसफैसले में साथ नहीं दिया था और सरकार इस विकल्प को ईवीएम मशीन में नहीं जोड़ना चाहती थी. बाद में नागरिक अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ ने भी NOTA के समर्थन में एक जनहित याचिका दायर की.
जिस पर 2013 को न्यायालय ने मतदाताओं को NOTA का विकल्प देने का निर्णय किया था. जिसके बाद से इस विकल्प को ईवीएम मशीन में जोड़ दिया गयाथा और लोगों को कोई भी उम्मदीवार काबिल ना लगने पर अपना मत उनको ना देने का अधिकार मिल गया था.
वर्ष 2013 में पहली बार हुए पांच राज्यों के विधानसभाचुनाव में NOTA को अपनाया गया. उस वक्त छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में पहली बार लोगों को यह विकल्प दिया गयाथा.
एक बात और दोस्तों चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि NOTA केमत गिने तो जाएंगे पर इसे रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाएगा. इस तरह से स्पष्ट हीथा कि इसका चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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