रूपक अलंकार किसे कहते हैं:अलंकार में अर्थालंकार का ही एक भेद है रूपक अलंकार की ख़ास बात यह है की जिस चीज की तुलना की जा रही है और जिससे की जा रही है दोनों में इतना अधिक समानता बता देता है की दोनों ही एक समान सा लगाने लगता है।
Read also – VIP Full Form in Hindi – VIP और VVIP का क्या मतलब होता है?
Rupak Alankar
रूपक अलंकार किसे कहते हैं: रूपक दो असमान तथा स्वतंत्र इकाइयों में अंतर्मूत साम्य को प्रत्यक्षीकृत करता है। एक प्रकार की गद्यात्मक या नीरस समानता, तुलना से आगे बढ़कर रूपक एक ऐसा तादात्म्य उपस्थित करता है
जिससे दो भिन्न पदार्थों या कार्य-व्यापारों में एक समेकन (फ्यूज़न) उपस्थित होकर एक नयी छवि उभरती है
जिसमें दोनों ही पदार्थों या कार्य-व्यापारों की विशिष्टताएँ समाहित होती हैं। दोनों के बीच की यह तुलना तर्कातीत होती है,
परिभाषा ;- जब काव्य में उपमेय और उपमान में इतना अधिक समानता बतलायी जाए की दोनों ही समान लगने लगे तो वहां रूपक अलंकार होता है
उदाहरण के लिए;-
गोपी पद-पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे
आप इस काव्य में देख सकते है की पैर को ही कमल बता दिया गया है। अर्थात – उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दिखाई जा रही है।
चलिए इसे एक दूसरे उदाहरण के जरिये समझते है।
Read also – LKG Full Form in Hindi – L.K.G. का Meaning क्या है?
यह तन कांचा-कुंभ
यहाँ पर कवी ने शरीर को कच्चे घड़ा बता दिया है
निर्भय स्वागत करो मृत्यु का, मृत्यु है एक विश्राम स्थल
यहाँ पर कभी ने मृत्यु को ही विश्राम स्थल बता दिया गया है।
उपमा और रूपक अलंकार में अंतर
उपमा अलंकार | रूपक अलंकार |
जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। | उपमेय और उपमान में इतना अधिक समानता बतलायी जाए की दोनों ही समान लगने लगते है |
उदाहरण ;- राणा प्रताप शेर के सामान है | उदाहरण ;- राणा प्रताप शेर थे ? |
Read also – KYC Full Form in Hindi – What is KYC?
रूपक अलंकार के उदाहरण
उदहारण | समानता |
मैया में तो चंद्र खिलौना लैंहो | चंद्र उपमेय में खिलौना उपमान का अभेद आरोप किया गया है। |
आए महंत-वसन्त। | यहां वसन्त उपमेय में महंत उपमान की समानता के कारण रूपक है |
वन शारदी चन्द्रिका-चादर ओढ़े , | चन्द्रिका का चादर होना |
उदित उदय गिरी-मंच पर रघुवीर बाल पतंग ,बिकसे संत-सरोज सब हरषे लोचन-भृंग। | गिरी,मंच ,बाल,पतंग,संत ,सरोज,लोचन,भृंग। यहां सनगोपांग रूपक अलंकार है। |
प्रीति-नदी में पांव न बोरयो | प्रीति ,नदी |
चरण कमल बंदौ हरिराई। | उपमेय चरण में कमल उपमान की समानता के कारण |
चढ़कर मेरे जीवन-रथ पर | जीवन,रथ |
नीलम मरकत के संपुट दो | नीलम ,मरकत |
दुख है जीवन-तरु मूल। | उपमेय जीवन में तरु उपमान की अत्यंत समानता के कारण यहाँ रूपक है। |
बीती विभावरी जाग री,अंबर पनघट में डुबो रही ,तारा घट उषा नागरी। | तारों के पनघट से पानी भरने के कारण यह रूपक है। |
गोपी पद-पंकज पावन रज | पद , पंकज |
अपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है। | मन के मैदान |
नीरज नयन नेह जल बाढे। | नीरज ,नयन |
कुसुमति कानन हेरि कमल मुखि। | कमल ,मुखि |
सब प्राणियों के मत्त मनोमयुर अहा नाच रहा। | मन ,मयूर |
मदन महिप जू को बालक बसंत ताहि। | बालक,बसंत |
Most Asked Q&A
रूपक अलंकार को समझाइए
रूपक अलंकार के उदाहरण दीजिये
यह तन कांचा-कुंभ
Read also –