क्या आप जानते है आपदा क्या है इसके प्रकार बताइए या आपदा किसी कहते है और प्राकृतिक आपदा क्या है और आपदा कितने प्रकार की होती है, इस विषय के बारे में आपको इस पोस्ट में पूरी जानकारी देने वाले है बरसात शुरू होते हैं पहाड़ों में अनेक घटनाएं सुनने को मिलती है
जिनमें कुछ भूस्खलन और कुछ प्राकृतिक हलचल से घटना बड़ी बड़ी घटनाएं होती है पर असलियत में इन्हें घटनाओं को क्या कहते हैं वह आपको इस पोस्ट में विस्तार से बताने वाले हैं तो सबसे पहले हम जानेंगे की आपदा क्या होती है आपदा प्रबंधन क्या है
विषय-सूची
- 1 आपदा क्या होती है या आपदा किसी कहते है ?
- 2 आपदा कितने प्रकार की होती है ?
- 3 प्राकृतिक आपदा क्या होती है ?
- 4 मानव जनित आपदा क्या है ?
- 5 आपदा प्रबंधन क्या है इसके प्रकार !
- 6 आपदा प्रबंधन की तीन स्थितियां होती है
- 7 आपदाओं के अभिलक्षण क्या होते है ?
- 8 आपदाएं क्यों आती है ?
- 9 आपदा से कैसे बचा जा सकता है ?
- 10 जीवन संरक्षक कौशल-
- 11 वैकल्पिक संचार के साधन –
- 12 भारत में आपदाओं से हुई क्षति में लोगो की मृत्यु –
- 13 उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के प्रमुख कारण क्या है ?
- 14 2012 में 70 से अधिक जंगलों में आग की दुर्घटनाएं।
- 15 आपदा के रोकथाम के उपाय क्या करना चाइये ?
आपदा क्या होती है या आपदा किसी कहते है ?
आपदा की परिभाषा – आपदा प्राकृतिक एवं मानवीय प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न स्थिति है ।जो व्यापक रूप से प्राकृतिक एवं मानवीय संपदा को क्षति पहुंच आती है। आपदा से हुई क्षति एवं उसका प्रभाव मानव समाज की प्रतिरोध क्षमता से अधिक होता है। इसलिए इसमें बाहरी सहायता की आवश्यकता अनुभव की जाती है आपदा के उदाहरण क्या होते हैं। यह जानने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आपदा कितने प्रकार की होती है ।
आपदा कितने प्रकार की होती है ?
क्या आपको पता है आपदा दो प्रकार की होती है ? अगर नहीं जानते हो तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते है और इन आपदाओं की परिभाषा सहित सम्पूर्ण जानकारी बताएँगे
आपदा के प्रकार
1. प्राकृतिक आपदा-
2. मानव जनित आपदा-
प्राकृतिक आपदा क्या होती है ?
प्राकृतिक आपदा वो आपदा है जो इस सृष्टि या प्रकृति द्वारा उत्पन्न होती है उसे प्राकृतिक आपदा कहा जाता है प्राकृतिक आपदाओं के कुछ उदाहरण आपको बताते हैं जैसे – बाढ़ आना , भूकंप, सुनामी, मौसमी आपदायें, बर्फानी तूफ़ान, ज्वालामुखीय विस्फोट, सूखा, ओलावृष्टि, ताप लहर, चक्रवाती तूफ़ान, आग, महामारी, अकाल आदि
मानव जनित आपदा क्या है ?
मानव निर्मित आपदा वे आपदाएं हैं जो मानव के त्रुटियों द्वारा उत्पन्न होती हैं और कुछ आपदाएं तो मानव मतभेद के कारण होती है जैसे बम विस्फोटक आतंकवादी हमला और मानव के लापरवाही के द्वारा दुर्घटना और रासायनिक कारखानों से जहरीली गैसों का रिसाव जनसंख्या विस्फोट, भीषण रेल वायुयान दुर्घटनाएं, इन आपदाओं को मानव जनित आपदा कहते हैं जिसके कुछ मुख्य उदाहरण आपको बताते हैं।
जैसे – आग लगना, सड़क दुर्घटना, बम विस्फोटक, आतंकवादी हमला , जहरीली गैसों का रिसाव, जनसंख्या विस्फोट आदि
आपदा प्रबंधन क्या है इसके प्रकार !
क्या आप जानते है आपदा प्रबंधन से क्या आशय है ? आपदा प्रबंधन शब्द आपदाओं और घटनाओं में काफी महत्व रखता है ये एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपदा न्यूनीकरण हेतु समाज व उसके पर्यावरण के लिए हितकारी, अनेक उपाय सुझाती हो, उसे आपदा प्रबंधन कहते है आपदा प्रबंधन मुख्य तौर पर तीन प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है जो हम आपको आगे बात रहे है
आपदा प्रबंधन की तीन स्थितियां होती है
- आपदा से पूर्व रोकथाम ( पूर्व तैयारी, जन जागरूकता व न्यूनी करण)
- आपदा के दौरान राहत और सहायता ( खोज निकालना और बचाव)
- और आपदा के पश्चात पुनः निर्माण सहायता विकास और पुन: स्थापना
आपदाओं के अभिलक्षण क्या होते है ?
किसी भी प्रकार की आपदा आने पर सामान्य जीवन व्यवस्था का अस्त- व्यस्त हो जाना, जीवन और संपत्ति को व्यापक क्षति पहुँचती है। सामाजिक ढांचे ( भवन खाद्यान्न चिकित्सा सुविधाएं आदि) का ध्वस्त हो जाना आपदा के अभिलक्षण या आपदाओं से नुकसान होते हैं
आपदाएं क्यों आती है ?
आपदाओं से होने वाली मानव क्षति एवं भौतिक क्षति को न्यून करने के लिए योजना निर्माण व क्षमताओं का विकास आवश्यक हो गया है। जैसे कि दुर्घटना का होना प्राकृतिक या मानव जनित हो सकता है । परंतु किसी घटना को आपदा में परिवर्तित होने का कारण घातक परिस्थितियां व कू- प्रबंधन होता है।
घटना के समय उचित प्रबंधन व अन्यपूर्ण तैयारियों के द्वारा आपदाओं से होने वाली क्षति व प्रभाव को न्यून किया जा सकता है । जिसके निर्धारण के कुछ उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं-
आपदा से कैसे बचा जा सकता है ?
प्रत्येक क्षेत्र विशेष में संभावित आपदाओं व आपदा विशेष की संवेदनशीलता के अनुरूप चिन्ही करण करना तथा आपदा प्रतिरोधक उपायों का उपयोग कर क्षेत्र को सुरक्षित बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए । इसमें प्रतिरोधक दीवारें नालों की सफाई वैकल्पिक मार्गों का निर्माण व अन्य उपायों को सम्मिलित किया जा सकता है।
जीवन संरक्षक कौशल-
आपदा के समय किए जाने वाले बहुत से प्रयासों के लिए विभिन्न प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता होती है। जैसे -आपदा से पीड़ित क्षेत्र में घायलों के लिए सर्वाधिक आवश्यकता प्राथमिक चिकित्सा की रहती है । आपदा प्रभावित क्षेत्रों में शरण- स्थलों का निर्माण, भोजन, संचार आदि की आवश्यकता होती है ।अतः योग्यताओं के अनुसार उत्तरदायित्व का निर्धारण महत्वपूर्ण पक्ष है। जिस में किए जाने वाले खोज और बचाव कार्य व प्राथमिक उपचार से बहुत- सी मानव क्षति को रोका जा सकता है।
वैकल्पिक संचार के साधन –
आपदाओं के दौरान संचार साधनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । इन संचार माध्यमों से घटना की जानकारी का मुख्यालयों को संप्रेक्षण तथा विभिन्न संगठनों के बीच संपर्क व सहायता के लिए आवश्यक दिशा निर्देश प्राप्त किए जा सकते हैं ।जो आपदा राहत कार्यों के लिए अति उपयुक्त सिद्ध हो सकते हैं। अतः वैकल्पिक संचार साधनों का विकास भी आपदा राहत कार्यों का महत्वपूर्ण पक्ष है।
सुरक्षित निर्माण विधियां- अपने क्षेत्र में आपदाओं की संवेदनशीलता के अनुरूप आपदा प्रतिरोधक भवन- निर्माण बीएफ द प्रतिरोधक योजना का महत्वपूर्ण पक्ष होता है। इसके लिए क्षेत्र विशेष में भवन- निर्माण के लिए संबंधित क्षेत्र में आपदा संवेदनशीलता के अनुरूप प्रतिरोधक भवन- निर्माण विधि प्रयोग में लाए जाने चाहिए।
भारत में आपदाओं से हुई क्षति में लोगो की मृत्यु –
- वर्ष 1980 से 1999 के मध्य 1,10,13 1 लोगों की मृत्यु।
- वर्ष 1988 से 1997 के दौरान प्रति वर्ष लगभग 2.45 करोड लोग प्रभावित।
- वर्ष 1960 में 9,846 लोगों की मृत्यु और लगभग 3.4 करोड़ लोग प्रभावित। वर्ष 1999 के उड़ीसा महा चक्रवात के कारण 10,000 से अधिक लोगों की मृत्यु एवं हजारों बेघर।
- वर्ष 2000 में बाढ़ के कारण 1900 से अधिक लोगों की मृत्यु।
- वर्ष 2000 में सूखे से 6 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित।
- वर्ष 2001 के भुज (गुजरात) मैं भूकंप के कारण 19 7 27 से अधिक लोगों की मृत्यु एवं हजारों बेघर।
- वर्ष 1985 से 19 95 के मध्य कुल लगभग रुपए का आर्थिक नुकसान।
- 1993 के महाराष्ट्र भूकंप के कारण 10,000 से अधिक लोगों की मृत्यु और 200000 से अधिक परिवार प्रभावित।
- उन्नीस सौ 96 के आंध्र प्रदेश में चक्रवात से 1077 लोगों की मृत्यु और सार्वजनिक भवनों को 700 करोड़ रुपए से अधिक की क्षति।
- 1979 में राजस्थान में त्वरित बाढ़ के कारण 100 लोगों की मृत्यु। किंतु बाद के महीनों में मलेरिया की महामारी से 10,000 से अधिक लोगों की मृत्यु।
- 2010 में पश्चिम बंगाल में शक्तिशाली तूफान से लगभग 500000 बेघर हुए 140 की मृत्यु।
- 2010 में उत्तरी भारत समुंद्र में लैला नामक चक्रवात के कारण 10000 लोग प्रभावित हुए।
- 2011 तमिलनाडु में चक्रवात “थाने” ने कई जिलों में तबाही मचाई 33 लोग मारे गए, हजारों मकान ध्वस्त हुए।
- 2012 सिक्किम में आई बाढ़ व भूस्खलन से तबाही, 50 से ज्यादा लोगों की मृत्यु।
- 2013 केदारनाथ घाटी में जल प्रलय, हजारों लोगों की मृत्यु लाखों लोग प्रभावित हुए, प्रदेश के कई जनपद बुरी तरह प्रभावित।
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा के प्रमुख कारण क्या है ?
20 अक्टूबर 1991 ईस्वी उत्तरकाशी में आए भूकंप एवं इससे प्रभावित जनपद टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग में आपदा के कारण लगभग 800 व्यक्तियों की मृत्यु ,घायल व्यक्ति लगभग 5,000, प्रभावित गांव 2000, प्रभावित जनसंख्या 4.5 लाख, पूर्ण रूप से ध्वस्त मकान 25,000 से अधिक ,आंशिक रूप से प्रभावित मकान 75,000 से ज्यादा, पशु हानि 4,000 से ज्यादा कुल हानि 370 करोड़ से अधिक।
मालपा (पिथौरागढ़) 18 अगस्त, 1998 ईस्वी में भूस्खलन के कारण 219 से अधिक व्यक्तियों की। मरने वालों में अधिकतर कैलाश मानसरोवर दल के अन्य सदस्य तथा आई टी बी पी के कुछ जवान भी मारे गए।
18 से 19 अगस्त, 1990 ईस्वी को उखीमठ (अगस्त मुनि) क्षेत्र के भेति गांव में लखन के कारण 100 से अधिक लोगों की मृत्यु।
18 से 19 अगस्त 1998 को उखीमठ (अगस्त मुनि) नेत्र के जगी, बेडूला , रागलेख, कालीमठ, आदि गांव में अतिवृष्टि से 100 से अधिक लोगों की मृत्यु।
28 से 29 मार्च 1999 ईस्वी चमोली भूकंप में 100 लोगों की मृत्यु ,घायल व्यक्ति संचार से ज्यादा ,पूर्ण रूप से ध्वस्त मकान 437 से अधिक, आंशिक प्रभावित मकान 118 से ज्यादा, प्रभावित गांव 58, पशु हानि 50 से ज्यादा।
12 जुलाई, 2002 ईसवी खेत गांव (पिथौरागढ़) मैं त्वरित बांध की घटना से 5 व्यक्तियों की मृत्यु, पशु हनी 20, मकान पूर्ण 7, मकान आंशिक 10।
10 से 11 अगस्त, 2002 ईसवी बूढ़ा केदार (टिहरी गढ़वाल) त्वरित बाढ़ की घटना से 28 व्यक्तियों की मृत्यु, घायल व्यक्ति 28, पशु हानि 99, क्षतिग्रस्त भवन 38, आंशिक 151, कुल प्रभावित गांव 17।
14 सितंबर 2012 रुद्रप्रयाग व बागेश्वर जनपद में बाढ़ व भूस्खलन से हजारों लोग प्रभावित, 19 की मृत्यु हुई, 30 लोग लापता है।
2012 में 70 से अधिक जंगलों में आग की दुर्घटनाएं।
जून 2013 जनपद चमोली उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में 16 से 19 जून को निरंतर भारी वर्षा के कारण त्वरित बाढ़ व भूस्खलन की अनेकों घटनाएं, 1000 से अधिक मार्ग नष्ट, 250 से अधिक ग्राम नष्ट हो गए, हजारों लोगों की मृत्यु, लाखों लोग प्रभावित।
आपदा के रोकथाम के उपाय क्या करना चाइये ?
बाढ़ के जोखिम से बचने के लिए बाध या तटबंध बनाना, उच्च जोखिम वाले क्षेत्र में बस्तियों कीअनुमति करें रोकने के लिए भू- उपयोग नियम बनाना तथा भूकंप रोधी इंजीनियरिंग डिजाइन जो किसी भी संभावित भूकंप में एक महत्वपूर्ण इमारतों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें, अबूजर रोकथाम के लिए कुछ उदाहरण है।
अक्सर नुकसान से पूर्ण रूप से बचाव संभव नहीं होता है जिस वजह से यह कार्य शमन में बदल जाता है। इस कारण से, रोकथाम और शमन शब्दों का उपयोग कभी-कभी एक दूसरे के स्थान पर अनौपचारिक प्रयोग किया जाता है।
निष्कर्ष –
प्राकृतिक आपदाओं से बचना मुश्किल है। इसके लिए आपदा प्रबंधन के संगठन पहले से ही तैयारी करते हैं और सतर्क हो जाते हैं। अभी भी बहुत सारे नई तकनीकों की जरूरत है जिससे कि इसके भयानक प्रभाव को कम किया जाए।
उम्मीद है इस लेख में आपको जानकारी मिल गयी होगी की आपदा क्या है व आपदा किसी कहते है ? प्राकृतिक आपदा क्या है, आपदा प्रबंधन क्या है, और आपदा कितने प्रकार की होती है इन सभी सवालो के जवाब में इस लेख में विस्तार से बताया है ।
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