Bharat ka sabse bada mandir kaun sa hai – क्या आपको पता है भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है तथा भारत का सबसे बड़ा मंदिर कहां स्थित है इस पोस्ट में हम आपको इस प्रश्न और इस विषय के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं अगर आप इस प्रश्न के बारे में जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को आप अंत तक पढ़े
भारत दक्षिण एशिया का भारत दक्षिण एशिया में स्थित उप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है अगर जनसंख्या दृष्टिकोण से देखें तो भारत एशिया के बाद दुनिया का सबसे बड़ा देश है

भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है यह जाने से पहले अगर आप यह जरूरी है कि भारत में कुल कितने मंदिर हैं यह संख्या जानकर आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है क्योंकि भारत में मंदिरों की संख्या 2 मिलियन से ज्यादा मंदिर और तीन लाख के आसपास मस्जिद है
पोस्ट का मुख्य विषय है कि भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है (bharat ka sabse bada mandir kaun sa hai) तो चलिए जानते हैं
Read also – भारत में कुल कितने राज्य है 2022 में
विषय-सूची
भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है (bharat ka sabse bada mandir kaun sa hai)
भारत का सबसे बड़ा मंदिर श्री रंगनाथस्वामी मंदिर है जो दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के शहर तिरुचिरापल्ली में स्थित है यह भारत के 2 मिलियन मंदिरों में सबसे बड़ा विशाल मंदिर है लगभग 6,31,000 वर्ग मीटर यानी 156 एकड़ भूमि पर बनाया गया है
अगर आपको पता नहीं है तो हम आपको बताना चाहेंगे भगवान श्री राम जब वनवास काल में थे तो इस मंदिर में देवताओं की भगवान श्री राम के द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी और जब रावण पर श्री राम की विजय हुवी उस के बाद मंदिर और देवताओं को राजा विभीषण को सौंप दिया गया था
भगवान श्री विष्णु विभीषण के सामने उपस्थित हुए और उसी स्थान पर रंगनाथ के रूप में रहने की इच्छा उन्होंने व्यक्त करी और ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु रंगनाथस्वामी के रूप में यहां वास करते हैं और श्रीरंगम से लेकर श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम तक के क्षेत्र में व्याप्त है
भारत तथा पूरे विश्व से रोजाना यहां हजारों पर्यटक आते हैं और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था इस मंदिर की वास्तुकला तमिल शैली में देखने के लिए मिलती है इस मंदिर को 2017 में यूनेस्को धरोहर में शामिल कर आ गया
Read also – भारत में कुल कितने राज्य है ?(2022में)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की धार्मिक कथा (Religious Story of Sri Ranganathaswamy Temple)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के बारे मे क्षेत्रीय पौराणिक ग्रंथों मे बताया गया है, कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उस समय समुद्र मंथन से श्रीरंगम विमान निकला।
वह विमान कई समय तक सत्यलोक मैं ही रहा बाद में राजा ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या की और विमान अयोध्या ले आए उसके बाद भगवान विष्णु भगवान ने श्री राम अवतार लिया और रावण को मारा फिर उन्होंने विमान विभीषण को सौंप दिया जब विभीषण विमान से वापस जा रहे थे और विमान द्वीप पर रुक गया
तो विभीषण ने यह विमान धर्म वर्मा नामक एक स्थानीय राजा को दे दिया। धर्म वर्मा ने इस विमान को हमेशा के लिए दक्षिण कार्डिनल दिशा में स्थापित कर दिया। दक्षिण दिशा की ओर स्थापित होने के कारण यह मूर्ति हमेशा दक्षिण दिशा की ओर झुकी रहती है।
Read also – भारत का सबसे आमिर व्यक्ति कौन है (10 सबसे आमिर व्यक्ति)
इतिहास
श्रीरंगम के एक मंदिर का उल्लेख संगम युग के तमिल साहित्य (६वीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक में मिलता है, जिसमें महाकाव्य सिलपदिकारम (पुस्तक ११, पंक्ति ३५-४०) भी शामिल है: [२४]
इस मंदिर को सबसे पहले धर्मा वर्मा चोल द्वारा बनाया गया था वहां पर एक नदी बहती थी उस नदी का नाम कावेरी नदी था कावेरी नदी के बाढ़ ने मंदिर विमानम नष्ट कर दिया उसके बाद प्रारंभिक चोल राजा किलीवलन ने मंदिर परिसर का पुन निर्माण किया प्राचीन पाठ्य इतिहास से परे,
शिलालेख जैसे पुरातात्विक साक्ष्य इस मंदिर का उल्लेख करते हैं, लेकिन ये पत्थर के शिलालेख पहली सहस्राब्दी सीई के अंत से हैं मंदिर में शिलालेख चोल , पांड्या , होयसला और विजयनगर राजवंशों के हैं जिन्होंने इस क्षेत्र पर शासन किया था। ये शिलालेख 9वीं और 16वीं शताब्दी के बीच के हैं।
1311 में अला उद दीन खिलजी के मुसलमान जनरल मलिक कपूर और उनकी दिल्ली सल्तनत सेना द्वारा आक्रमण और लूट की अवधि के दौरान इस अवधि के अरबी ग्रंथों में कहा गया है कि उन्होंने कावेरी नदी पर एक वर्ण मंदिर पर छापा मारा है और साथ ही साथ मंदिर को भी नष्ट कर दिया गया है
और देवता की जो वहां पर स्वर्ण चित्र था उसको भी साथ में लूट कर दिल्ली ले गए थे. स्टीवन पी. हॉपकिंस के अनुसार, यह रंगनाथस्वामी मंदिर माना जाता है।
इसके बाद के तमिल ग्रंथ विभिन्न असंगत किंवदंतियों की पेशकश करते हैं कि कैसे मंदिर ने विष्णु चिह्न को पुनः प्राप्त किया। कोइल ओलुकु में पाए गए एक के अनुसार ,
एक युवा लड़की ने उपवास करने की कसम खाई थी जब तक मैं आइकन को नहीं देख लेती लड़की ने मुसलमान के सेना का पीछा किया वह वह लड़की उनसे लुटे बिना वापस दिल्ली नहीं लौटी क्योंकि उस लड़की ने वहां पर महल के अंदर देखा तो सुल्तान की बेटी को छवि से प्यार हो गया था
तो युवती श्रीरंगम तुरंत लौट आई और वहां पहुंचकर पुजारी से कहा कि उसने वहां क्या देखा तो पुजारी संगीतकारों के साथ वहां से दिल्ली पहुंच गए उन्होंने काफी मेहनत की दिन रात जो सुल्तानी की बेटी थी उसके कब्जे में आइकन पाया पुजारी ने आइकन को वापस करने के लिए सुल्तान के सामने नृत्य भी किया फिर उसने उसको वापस दे दिया
उससे सुल्तान की बेटी परेशान हो गई सुल्तान ने बेटी को सांत्वना देने के लिए उसे वापस लाने के लिए अपनी सेना दोबारा भेज दी परंतु वह इस बार सफल नहीं हुए संस्करणों के अनुसार मुस्लिम बेटी ने घोड़े की सवारी से दिल्ली से श्रीरंगम तक आई नाक का सफर किया जो किस बात का प्रतीक है युद्ध के बाद प्रेम ने आइकन को वापस ले लिया।
निष्कर्ष:-
उम्मीद करते हैं आपको हमारे इस पोस्ट में सारी जानकारी मिल गई होगी कि भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है अगर आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को शेयर करें और कमेंट करके बताएं कि हमारी इस पोस्ट में दी गई जानकारी आपको कैसी लगी |
Read also –भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन सा है जनसंख्या तथा क्षेत्रफल
प्रश्न उत्तर
1) भारत का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है है? |
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर है |
2) श्री रंगनाथस्वामी मंदिर कहां स्थित है? |
यह मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के शहर तिरुचिरापल्ली में स्थित हैदक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के शहर तिरुचिरापल्ली में स्थित है |
3) श्री रंगनाथस्वामी मंदिर कितने एकड़ जमीन पर बना है |
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर लगभग 6,31,000 वर्ग मीटर यानी 156 एकड़ भूमि पर बना है |
Read also –