Chanakya niti in hindi – तीन कार्यों को करने वाला व्यक्ति जिंदगी में कभी भी सुख नहीं मिलता।
तीन कार्यों को करने वाला व्यक्ति, पंडित ज्ञानी एवं कुशल होने पर भी अवश्य दुख पाता है, रोता है यह तीन कार्य है-
- मूर्ख किस को उपदेश देना,
- दुष्ट स्त्री का पालन पोषण करना।
- दुखी लोगों के साथ रहना।
आचार्य ने चार स्थितियों को बिना किसी समस्या के मृत्यु के रूप में बताया है यह चार स्थितियां हैं- ऐसा व्यक्ति जिसकी पत्नी दुष्टा हो, जिसका मित्र सठ यानी मूढ़ हो तथा जिसका निवास सांपों के रहने वाले घर में हो। इस तरह आचार्य इन स्थितियों से बचने का परामर्श देते हैं। सामान्यता बुद्धिमान उसे ही कहा जाएगा जो इन से बचें।
जिस राज्य में – लोक जीवन अर्थात आजीविका के साधन ना हो, नागरिकों में शासन का भय ना हो उद्दंड भाव से विधि विरुद्ध आचरण करते हो, लोग लज्जा तथा मर्यादा से ही जीवन जीते हो तथा उनमें दान और त्याग की भावना न हो वहां (अर्थात ऐसे राज्य में) निवास नहीं करना चाहिए।
Chankya Niti : महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है। अपनी नीति शास्त्र में उन्होंने जीवन के हर पहलू के बारे में बताया है। साथ ही अपनी नीतियों का द्वारा आचार्य चाणक्य ने जरूरी और कड़े संदेश भी दिए हैं, जिसमें उन्होंने धन, संपत्ति, स्त्री, दोस्त, करियर और दांपत्य जीवन से जुड़ी तमाम बातों का जिक्र किया है। आचार्य चाणक्य श्रेष्ठ विद्वान, एक अच्छे शिक्षक के अलावा एक कुशल कूटनीतिज्ञ, रणनीतिकार और अर्थशास्त्री भी थे।
चाणक्य की नीतियां देशभर में प्रसिद्ध हैं। चाणक्य की नीतियों के जरिए कोई भी इंसान अपने जीवन के बेहतरीन बना सकता है। चाणक्य ने अपनी नीति में धर्म-अधर्म, कर्म, पाप-पुण्य के अलावा सफलता के भी कई मंत्र बताए हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए चाणक्य नीति से सफलता के कुछ बेहतरीन मंत्र निकाल कर लाए हैं।
इन मंत्रों को अपना कर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सफल इंसान बन सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में…
आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेध्दनैरपि ।
नआत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।
- चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ है, मनुष्य को आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए धन की बचत करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर धन-संपदा त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए, लेकिन बात यदि आत्मा की सुरक्षा की आ जाए, तो मनुष्य को धन और पत्नी दोनों को तुच्छ समझना चाहिए।
अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति सत्तमः ।
धर्मोपदेशं विख्यातं कार्याऽकार्य शुभाऽशुभम् ।।
- चाणक्य नीति के के अनुसार, जो मनुष्य शास्त्रों के नियमों का निरंतर अभ्यास करके शिक्षा प्राप्त करता है, उसे सही-गलत और शुभ कार्यों का ज्ञान हो जाता है। ऐसे व्यक्ति के पास सर्वोत्तम ज्ञान होता है और ऐसे ही लोग जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
प्दुष्टाभार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव नः संशयः ।।
- इस श्लोक के अनुसार, दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, धूर्त सेवक और सांप के साथ कभी नहीं रहना चाहिए। ये ठीक वैसा ही है जैसे मृत्यु का गले लगाना।
यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः ।
न च विद्यागमऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ।।
- इस श्लोक का अर्थ है कि उस देश में नहीं रहना चाहिए जहां सम्मान और रोजगार के साधन न हों। वहां पर मनुष्य को नहीं रहना चाहिए जहां आपका कोई मित्र न हो। साथ ही उस स्थान का भी त्याग करना चाहिए जहां पर ज्ञान न हो।
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विषय-सूची
Chanakya niti in hindi
Chanakya niti in hindi व्यक्ति को जीवन में कष्ट और असुविधा उठाकर भी आपत्ति विपत्ति से बचने के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए। धन का संग्रह अत्यंत आवश्यक है क्योंकि किसी भी संकट से मुक्ति दिलाने में धन का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। अपनी आय को पूरा खर्च कर देना बुद्धिमानी नहीं है, कुछ ना कुछ बचा कर रखना जरूरी है। धनहीन व्यक्ति की समाज में कोई प्रतिष्ठा नहीं होती है। अतः कष्ट सहन करके भी धन की रक्षा करना उचित है।
इसी तरह यदि पत्नी पर किसी प्रकार का संकट आ जाए, उसकी बीमारी पर खर्च करना पड़ जाए, तुम देती को धन के प्रति मोह नहीं दिखाना चाहिए। किंतु स्वयं की रक्षा धर्म पत्नी की अपेक्षा अधिक ध्यान देकर करनी चाहिए। यहां इस बात का कोई संकुचित अर्थ लगाने की आवश्यकता नहीं है
कि अपनी रक्षा से अधिक कुछ भी नहीं है वरन् से इस दृष्टि से भी देखना चाहिए की स्वयं का होना ही धन एवं पत्नी का धन एवं पत्नी के रूप में बना रहता है। साथ ही, स्वयं की रक्षा के प्रति हर प्राणी को सबसे अधिक दायित्व प्रकृति के नियम निर्धारित किया है, इस अर्थ में भी यह नीति सुंदर है।
यह माना जाता है कि दुख, संकट और कष्ट, गरीब व्यक्ति के साथी हैं, धनी व्यक्ति को इन से क्या लेना देना? धनवान व्यक्ति तो अपने धन की शक्ति से सभी दोस्तों और कष्टों से सहज ही मुक्ति पा सकता है। किंतु लक्ष्मी चंचल है संग्रह करने पर भी नष्ट हो जाती है।
मनुष्य को उस क्षेत्र में अपना निवास कभी नहीं बनाना चाहिए जहां व्यक्ति के गुणों को महत्व नहीं दिया जाता, अर्थात गुणी व्यक्ति को सम्मान नहीं मिलता, जहां अजीब का के साधन नहीं है, जिस क्षेत्र में अपने बंधु बांधव नहीं रहते, तथा जिस क्षेत्र में ज्ञान प्राप्त करने की सुविधा नहीं है।
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इस श्लोक में आचार्य किसी लोकोत्तर करुणा या दया की ओर संकेत ना करके मात्र व्यक्ति को पीड़ित होकर रोने से बचाने के लिए तीन बातों को निषेध करने को कहते हैं। यहां यह बात फिर से पुष्ट होती है कि आचार्य केवल यह लोग के हित की कामना से या ग्रंथ रच रहे थे।
जिस नगर में निम्न में से पांच विद्यमान नहीं रहते हैं, वहां बुद्धिमान व्यक्ति को 1 दिन भी नहीं बिताना चाहिए। उसे तत्काल छोड़ देना चाहिए: जैसे- धनिक, राजा, क्षेत्रिय ब्राह्मण, नदी तथा डॉक्टर।
आचार्य विभिन्न प्रकार के संबंधों के परीक्षण का सूत्र बताते हुए कहते हैं कि सेवकों को योग्यता तथा स्वामी भक्त की परख उन्हें सौंपे गए कार्य के करने की सामर्थ्य से होती हैं। सगे संबंधियों के अपने प्रति लगाओ कि परख संकट की स्थिति में की जाती है। सच्चे अर्थों में बंधु बांधव वही हैं, जो दुख संकट में साथ नहीं छोड़ते। मित्र की पहचान भी विपत्ति पड़ने पर होती है सच्चा मित्र सुख दुख में एक समान साथ निभाता है।
वैभव के छेड़ होने पर, राजा और रंक बन जाने पर पत्नी की पति- परायणता की परख होती है। दरिद्र हो जाने पर गोस्वामी तुलसीदास जी का कथन है- धीरज, धरम, मित्र अरु नारी, आपत्तिकाल परखिए चारी।
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इन लोगों के हाथ लगाते ही मिट्टी हो जाती है सोना! वजह जान लेंगे तो फायदे में रहेंगे
नई दिल्ली: महान अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति सफल और सुखद जीवन पाने के तरीके बताती है. उन्होंने अमीर बनने के तरीके भी बताए हैं और धन हानि से बचने के लिए कुछ चीजों के प्रति आगाह भी किया है. यदि चाणक्य नीति की इन बातों को जीवन में उतार लिया जाए तो व्यक्ति कभी भी मुसीबतों में नहीं फंसता है.
आइए चाणक्य नीति की उन बातों के बारे में जानते हैं जो व्यक्ति को न केवल बेशुमार धन-दौलत दिलाती हैं, बल्कि उसे हमेशा अमीर बनाए रखती हैं. साथ ही उसे मान-सम्मान भी दिलाती हैं. कह सकते हैं कि ऐसे लोग पैसे कमाने के मामले में इतने सौभाग्यशाली साबित होते हैं कि वे यदि मिट्टी को भी छू लें तो वह भी सोना बन जाती है. यानी कि व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है
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अमीर बनाती हैं ये बातें
– आचार्य चाणक्य के मुताबिक जिन लोगों के दिल में हमेशा दूसरों के प्रति अच्छे भाव रहते हैं, दूसरों की मदद करने की भावना रहती है, उनके जीवन की सारी विपत्तियां अपने आप नष्ट हो जाती हैं. ऐसे लोग कदम-कदम पर पैसा कमाते हैं और अपने जीवन में हर सुख भोगते हैं.
– जो लोग परोपकार के कामों में लगे रहते हैं. समाज के प्रति अपना दायित्व निभाते हैं. जरूरतमंदों के काम आते हैं, उनकी किस्मत हमेशा उनका साथ देती है. ऐसे लोग जो भी काम, व्यापार करें उन्हें खूब सफलता मिलती है और वे समाज में खूब मान-सम्मान भी पाते हैं.
– जो लोग न केवल अपना तन-मन ही नहीं बल्कि धन भी परोपकार में लगाते हैं, उनके घर में धन की तिजोरी हमेशा भरी रहती है. उनके जीवन में मुश्किलें नहीं आती हैं यदि आ भी जाएं तो वे आसानी से दूर हो जाती हैं. उनका वंश भी हमेशा फलता-फूलता रहता है.
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